यूपीएससी में संस्कारधानी के होनहारों का डंका, कठिन परिश्रम से पाया सर्वोच्च मुकाम
देश की सबसे प्रतिष्ठित और सर्वोच्च परीक्षा यूपीएससी में अपनी मेहनत और लगन के बल पर संस्कारधानी के होनहारों ने अपनी सफलता का परचम फहराया है।

जबलपुर- देश की सबसे प्रतिष्ठित और सर्वोच्च परीक्षा यूपीएससी में अपनी मेहनत और लगन के बल पर संस्कारधानी के होनहारों ने अपनी सफलता का परचम फहराया है। शहर की रहने वाली शिवानी तिवारी और स्वर्णिम चौधरी ने यूपीएससी में सफलता हासिल कर न केवल अपने परिवार का बल्कि संस्कारधानी जबलपुर का नाम भी रोशन किया है। कठोर परिश्रम और मेहनत के बल पर संस्कारधानी के युवाओं ने यूपीएससी में सफलता हासिल कर युवा पीढ़ी को संकल्प पर अड़े रहने का संदेश दिया है। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयनित होने के बाद अब शहर के ये युवा देश और समाज के लिए कुछ बेहतर करने की इच्छा जता रहे हैं।
आरक्षक पिता की बेटी है शिवानी -
संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी 2024 की परीक्षा में शिवानी तिवारी ने 294 वीं रैंक हासिल की है। शिवानी के पिता सतीश तिवारी पुलिस विभाग में आरक्षक हैं और वर्तमान में उनकी पदस्थापना जबलपुर के विजयनगर थाने में है। शिवानी ने सेंट एलॉयसियस स्कूल से स्कूली शिक्षा हासिल की तो स्नातक की पढ़ाई उन्होंने माता गुजरी महिला महाविद्यालय से की, इसके बाद सेल्फ स्टडी के जरिए उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को क्रैक किया और इसमें सफलता हासिल की। शिवानी की इस सफलता से पुलिस महकमा भी गौरवान्वित है। खुद जबलपुर के एसपी संपत उपाध्याय ने शिवानी के पिता आरक्षक सतीश तिवारी को पुष्प कुछ भेंट कर उन्हें बेटी की सफलता की बधाईयां दी।
दूसरे अटेम्प्ट में स्वर्णिम ने पाई सफलता -
जबलपुर के तिलक भूमि तलैया एलेक्स में रहने वाले 24 साल के स्वर्णिम चौधरी ने भी यूपीएससी में सफलता हासिल कर जबलपुर का नाम रोशन किया है। दूसरे अटेम्प्ट में स्वर्णिम ने सफलता हासिल कर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 258 वीं रैंक हासिल की है। पढ़ाई में शुरू से ही होनहार स्वर्णिम की इस सफलता से व्यापारिक बैकग्राउंड से ताल्लुक रखने वाला उनका परिवार बेहद उत्साहित है। अपनी इस सफलता के बाद स्वर्णिम चौधरी ने बताया कि टाइम से ज्यादा सिलेक्टेड स्टडी पर उनका शुरू से ही भरोसा रहा है और उन्होंने अपनी रणनीति भी इसी आधार पर बनाई। यूं तो स्वर्णिम चौधरी को बचपन से ही क्रिकेटर बनने का जुनून सवार था लेकिन उन्होंने यूपीएससी की राह पकड़ ली और दूसरी ही कोशिश में कामयाबी हासिल की। स्वर्णिम की मां पेशे से वकील हैं जबकि पिता व्यापार संभालते हैं।