बदल रहा साइबर अपराधों का ट्रेंड, बच्चों के सहारे पैरेंट्स को बना रहे शिकार
कंप्यूटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर किए जाने वाले अपराधों को साइबर क्राइम कहा जाता है। हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, रैनसमवेयर और मैलवेयर हमले आदि साइबर क्राइम के कुछ उदाहरण हैं।

कंप्यूटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर किए जाने वाले अपराधों को साइबर क्राइम कहा जाता है। हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, रैनसमवेयर और मैलवेयर हमले आदि साइबर क्राइम के कुछ उदाहरण हैं। आधुनिक दौर में साइबर अपराधों का ट्रेंड भी बदल रहा है। अब बच्चों के सहारे पैरेंट्स को निशाना बनाया जा रहा है। जिससे बचने खास सावधानियां बरतने की जरूरत है। दरअसल साइबर क्राइम की पहुंच कोई भौतिक सीमा नहीं जानती। आईए जानते हैं...साइबर क्राइम और उससे जरूरी बातें।
साइबर क्राइम क्या है-
साइबर अपराध ऐसे अपराध होते हैं जो कम्प्यूटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके व्यक्तियों, कंपनियों या संस्थानों के प्रति किए जाते हैं। साइबर अपराधी सोशल नेटवर्किंग साइटों, ईमेल, चैट रूम, नकली सॉफ्टवेयर, वेबसाइटों इत्यादि जैसे प्लेटफॉर्मों का उपयोग पीड़ितों पर हमला करने के लिए करते हैं। साइबर अपराध के अंतर्गत 3 प्रमुख श्रेणियाँ आती हैं जिसमें व्यक्ति विशेष, संपत्ति और सरकार के विरुद्ध अपराध शामिल हैं। गैरकानूनी रूप से किसी की निजी जानकारी प्राप्त करना, जानकारी मिटाना, उसका गलत इस्तेमाल करना, उसमें फेरबदल करना, ऑनलाइन बैंक खातों से पैसे चुराना आदि सभी साइबर अपराध में सम्मिलित हैं
ऑनलाइन साइबर क्राइम को कैसे रोकें-
एक मजबूत एन्क्रिप्शन पासवर्ड सेट करके और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करके शुरुआत करें। डिवाइस से सभी ट्रैफ़िक को तब तक एन्क्रिप्ट करता है जब तक कि वह अपने गंतव्य तक न पहुँच जाए, यह सुनिश्चित करता है कि भले ही साइबर अपराधी आपके संचार को बाधित कर दें, वे केवल एन्क्रिप्टेड डेटा तक ही पहुँच सकते हैं।
ऑनलाइन फ्रॉड को कैसे पकड़ें?
ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में उपभोक्ताओं को शिकायत करने के लिए सीधे पुलिस स्टेशन जाना चाहिए या फिर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से भी शिकायत की जा सकती है। शिकायत करने के लिए 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
साइबर ठगी होने पर क्या करें?
अगर किसी के साथ साइबर ठगी हो जाती है तो तुरंत 1930 पर शिकायत करें। इससे आपकी ठगी की रकम को जालसाज के ट्रांसफर करने से पहले फ्रीज कर दिया जाता है। अगर आपकी रकम पुलिस की ओर से फ्रीज हो गई है तो उसे डिफ्रीज करने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है।
1930 का नंबर क्या है?
1930 एक राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर है जो उन व्यक्तियों की सहायता के लिए बनाई गई है जो साइबर अपराधों, विशेष रूप से वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके और आवश्यक विवरण प्रदान करके, आप घटना की रिपोर्ट कर सकते हैं।
सजा का क्या प्रावधान है-
आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी, आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 66 डी, आईपीसी की धारा 417, 419, 420 और 465। तीन साल तक की जेल या जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
क्या करें क्या न करें-
-किसी अनजान काल पर विश्वास कर आपकी व्यक्तिगत बैंकिंग जानकारी शेयर नहीं करना है। परिचित जैसी आवाज लगने पर भी अन्य स्रोतों से उसे वेरिफाई कर लें।
-व्हाट्सएप, फेसबुक, या किसी अन्य ऐप वेबसाइट पर किसी फर्जी लिंक पर क्लिक न करें।
- फोन पर कोई पुलिस अधिकारी बन कर किसी कानूनी कार्यवाही का डर दिखाकर पैसों कि मांग करता है तो उसपर विश्वास न करें।
-सोशल मीडिया पर किसी अनजान से दोस्ती न करें।
-अनावश्यक एप्लीकेशन डाउनलोड करने बचें। फ्री की अनावश्यक किसी वेबसाइट पर सर्चिग न करें, क्योंकि एप्लीकेशन डाउनलोड करने के उपरांत हम गैलरी, कॉन्टैक्ट, विडियो आदि का एक्सेस देते हैं। इससे हमारी प्राइवेसी का भंग होती है।
-अपने बैंक खाते में अपने रजिस्टर्ड नम्बर का एसएमएस अलर्ट एक्टिव रखे। फ़ोन नम्बर यदि बदल दिया है या खो गया है और उसी नम्बर का दूसरा सिम नहीं जारी करवाए हैं तो बैंक में नया नम्बर अपडेट कराएं।