दुनियाभर को सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की वापसी का इंतजार
इस समय पूरी दुनिया की नजर NASA की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के धरती पर वापसी की खबर पर टिकी है।

9 महीने से अधिक समय से है स्पेस में फंसे है दोनों, झेलनी पढ़ सकती है कई परेशानियां
इस समय पूरी दुनिया की नजर NASA की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के धरती पर वापसी की खबर पर टिकी है। दोनों पिछले 9 महीने से अधिक समय से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर फंसे हुए हैं। अब दोनों एस्ट्रोनॉट्स की धरती पर वापसी हो रही है। जिसे लेकर लोगों में खुशी का माहौल है। हालांकि सुनीता विलियम्स और उनके साथियों को धरती पर आकर भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से एस्ट्रोनॉट्स के शरीर में काफी बदलाव हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें नॉर्मल होने में कई महीनों का समय लग सकता है।
शरीर में दिख सकते है कई बदलाव-
जानकारों की माने तो अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण शरीर में ये बदलाव होते हैं। जिसकी वजह से चलना-फिरना, बैठना, बोलना या फिर देखने में भी परेशानी हो सकती है। कई बार ऐसी कंडीशन में हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी आने लगती है। ऐसे में सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को ठीक होने में महीनों और सालों लग सकते हैं।
विलियम्स को हो सकती हैं कई हेल्थ प्रॉब्लम-
चलने-बैठने में हो सकती है परेशानी-
नासा के अंतरिक्ष यात्री Leroy Chiao ने बताया कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को धरती पर लौटने के बाद चलने में कठिनाई हो सकती है, जिसे 'Baby Feet' कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहता है, तो उसके पैरों की ऊपरी मोटी चमड़ी खत्म हो जाती है, जिससे उनके पैर छोटे बच्चों जैसे सॉफ्ट और कमजोर हो जाते हैं। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में पैरों की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे चलने, संतुलन बनाने और सामान्य गतिविधियों में मुश्किल होती है।
कमजोर हो जाती हैं हड्डियां-
9 महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद सुनीता विलियम्स और उनके साथी को हड्डियों और मांसपेशियों में बदलाव देखने को मिलेगा। स्पेस में रहने से मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को बोन डेंसिटी लॉस भी हो जाता है। जिसकी वजह से हड्डियों के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है। नासा की मानें तो अंतरिक्ष में बिताया गया 1 महीना आपके शरीर में 1 प्रतिशत बोन डेंसिटी को कम कर देता है। जो सुनीता विलियम्स के लिए 9 प्रतिशत से ज्यादा हो चुका होगा। ऐसे में हड्डियों के टूटने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
आंखों की समस्या-
विलियम्स और विल्मोर को विजन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है। कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का कहना है कि ये लोग स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (SANS) नामक विकार से पीड़ित हो सकते हैं। जिसमें दिमाग में एक लिक्विड की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे विजन लॉस और आईबॉल की शेप में चेंज हो सकता है। देखने में परेशानी हो सकती है।
हार्ट के लिए खतरा-
विलियम्स और विल्मोर का अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहना उनके हार्ट के लिए खतरा बन सकता है। इनके हार्ट के आकार में बदलाव हो सकता है। जिससे कई तरह की हार्ट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नासा में कार्डियोवैस्कुलर इमेजिंग के मूर चेयर और अल्ट्रासाउंड के प्रमुख वैज्ञानिक और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जेम्स थॉमस का कहना है कि "अंतरिक्ष में हृदय उतनी मेहनत नहीं करता है, जिससे मांसपेशियों का नुकसान हो सकता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।"
बोलने में परेशानी-
विलियम्स और विल्मोर को वेटलेस टंग जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसमें अंतरिक्ष यात्रियों को लगता है कि उनकी जीभ वेललेस है, जिससे उन्हें बोलने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा स्वाद लेने या मुंह की शेप में कुछ बदलाव हो सकते हैं। लेकिन कुछ दिनों में ही ये लोग आसानी से बात कर पाएंगे।
कमजोर इम्यूनिटी-
विलियम्स के अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है, जिससे वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं। इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण विलियम्स और विल्मोर को बीमारियों का खतरा ज़्यादा हो सकता है।
मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम-
पृथ्वी पर लौटने के बाद सुनीता विलियम्स और उनके साथी को कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं से भी जूझना पड़ेगा। इन लोगों को अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने के बाद पृथ्वी पर फिर से ढलना होगा। इससे एंग्जाइटी, डिप्रेशन और लॉस्ट जैसी फीलिंग हो सकती है। इन्हें नॉर्मल लाइफ जीने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ सकता है।