बिना किसी मंशा के होठ को छूना और बाजू में सोना पॉक्सो में उत्पीड़न नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

यदि किसी आरोपी ने नाबालिग लड़की के होठों को छूआ या दबाया, और उसके बगल में सोया, लेकिन इसमें कोई यौन प्रेरित प्रयास नहीं था, तो इसे पॉक्सो अधिनियम के तहत 'गंभीर यौन उत्पीड़न' नहीं माना जाएगा।

Mar 8, 2025 - 14:47
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बिना किसी मंशा के होठ को छूना और बाजू में सोना पॉक्सो में उत्पीड़न नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
Touching lips without any intention and sleeping on the side is not harassment in POCSO

दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले का मुख्य सार यह है कि यदि किसी आरोपी ने नाबालिग लड़की के होठों को छूआ या दबाया, और उसके बगल में सोया, लेकिन इसमें कोई यौन प्रेरित प्रयास नहीं था, तो इसे पॉक्सो अधिनियम के तहत 'गंभीर यौन उत्पीड़न' नहीं माना जाएगा। हालाँकि, इस प्रकार के मामलों में परिस्थितियों और नीयत (intention) का विशेष महत्व होता है, और अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होता है कि आरोपी का इरादा यौन उत्पीड़न का था।

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि यह कृत्य नाबालिग की गरिमा का उल्लंघन कर सकता है और उसे मानसिक रूप से आहत कर सकता है। हालांकि, यदि इसमें ‘स्पष्ट यौन इरादा’ नहीं है, तो इसे पॉक्सो एक्ट की धारा-10 के तहत अपराध के रूप में साबित करना कठिन होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया, यह मामला आईपीसी की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से किए गए हमले या आपराधिक बल प्रयोग के तहत आ सकता है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय नाबालिग लड़की के चाचा की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि उस पर आईपीसी की धारा 354 के तहत आरोप कायम रहेगा, लेकिन पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत उसे बरी कर दिया गया। अदालत ने माना कि नाबालिग लड़की को उसकी मां ने बचपन में ही छोड़ दिया था और वह बाल देखभाल संस्थान में रह रही थी। घटना के समय वह अपने परिवार से मिलने गई थी।