पीथमपुर में ही जलेगा यूका का कचरा, सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप न करने का सुनाया आदेश
पीथमपुर में यूका का कचरा जलाने का निर्णय लिया गया है, और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद विशेषज्ञों की निगरानी में यूका के कचरे को पीथमपुर में जलाने का निर्णय लिया गया था, जिसे लेकर विरोध हो रहा था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट में रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा

पीथमपुर में यूका का कचरा जलाने का निर्णय लिया गया है, और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद विशेषज्ञों की निगरानी में यूका के कचरे को पीथमपुर में जलाने का निर्णय लिया गया था, जिसे लेकर विरोध हो रहा था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट में रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा, क्योंकि इसका निपटान पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की निगरानी में हो रहा है।
याचिका खारिज
इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने की, और याचिका खारिज कर दी गई। अब यह मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ही देखेगा। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद, पीथमपुर के इंडस्ट्रियल एरिया में गुरुवार से कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू होनी थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद, कंपनी अब इस दिशा में आगे बढ़ेगी।
दरअसल, यूका कचरे के निपटान को लेकर स्थानीय लोगों का कहना था कि इससे उनके ऊपर नकारात्मक असर पड़ेगा, और इस कारण स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। हालांकि, कंपनी और सरकार का कहना था कि इस प्रक्रिया से कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है और एक्सपर्ट की अनुमति के बाद ही यह कदम उठाया गया है। कंपनी ने यह भी कहा कि उनके सारे कर्मचारी वहीं रह रहे हैं, और उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।
हाईकोर्ट का आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे के निपटान के लिए ट्रायल रन को मंजूरी दी है। इस प्रक्रिया में 30 मीट्रिक टन कचरा जलाया जाएगा, जो तीन चरणों में होगा। पहले चरण में 135 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया जाएगा, दूसरे चरण में 180 किलो, और तीसरे चरण में 270 किलो प्रति घंटा कचरा जलाया जाएगा। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने की थी।