अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को

डोनाल्ड ट्रंप अमरीका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने वाले है। समारोह को लेकर दुनियाभर में उत्साह देखने को मिल रहा है। इस समारोह में सभी दिग्गजों के शिरकत करने की संभावना जताई जा रही है।

Jan 13, 2025 - 16:44
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को
US President Donald Trump's swearing in on January 20

डोनाल्ड ट्रंप अमरीका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने वाले है। समारोह को लेकर दुनियाभर में उत्साह देखने को मिल रहा है। इस समारोह में सभी दिग्गजों के शिरकत करने की संभावना जताई जा रही है। वैश्विक नेताओं को आमंत्रण पत्र दिए जा चुके है। इनोग्रेशन कमेटी के निमंत्रण पर विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर के अमरीका जाने की पुष्टि हो गई है। नए प्रशासन को खुश करने के लिए उद्योग जगत के नेताओं ने उद्घाटन समारोह के लिए भारी दान दिया है। रिपोर्ट के अनुसार इनोग्रेशन कमेटी को फंडिंग में अब तक 170 मिलियन डॉलर(1465 करोड़ रुपए) से अधिक इकट्ठा हो चुका है। फंडिंग की रकम 200 मिलियन डॉलर(लगभग 1724 करोड़ रुपए) के पारे जाने की उम्मीद है। 
 
समारोह में दिग्गजों का होगा जमावड़ा 


ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन, मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग और उबर के सीईओ दारा खोसरोशाही जैसे उच्च-प्रोफ़ाइल व्यक्ति समारोह में शामिल होंगे। एलन मस्क की एक्स और मीडिया कंपनी द फ्री प्रेस, उबर के साथ मिलकर वाशिंगटन में अलग से एक इनॉग्रेशन पार्टी आयोजित करेगी। इसके अलावा, कॉइनबेस के सीईओ ब्रायन आर्मस्ट्रांग को भी कुछ कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया है। ट्रंप के करीबी सहयोगी मस्क के हर कार्यक्रम में मौजूद रहने की संभावना जताई जा रही है।

जिनपिंग से लेकर मेलोनी तक को बुलाया


परंपरागत रूप से इस समारोह में वैश्विक नेताओं को आमंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन ट्रंप ने इस बार इस परंपरा को तोड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले, इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली को भी टीम ट्रंप ने आमंत्रित किया है। हालांकि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी निमंत्रण भेजा गया है, लेकिन उनकी जगह उपराष्ट्रपति हान झेंग या विदेश मंत्री वांग यी के आने की संभावना है, जबकि दोनों देशों के बीच तनातनी जारी है।

सुरक्षा व्यवस्था बनी बड़ी चुनौती 


अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के लिए सुरक्षा की बड़ी चुनौतियां पैदा होंगी, क्योंकि उसे कई राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी और प्रोटोकॉल का पालन भी करना होगा। इससे भी बड़ी समस्या यह है कि इनमें से कई आमंत्रण बैक चैनल के जरिए भेजे गए हैं। ट्रंप की ओर से आमंत्रणों की खुली प्रकृति ने उनके करीबी सहयोगियों के लिए सभी पर नजर रखना और भी कठिन बना दिया है।