भारत के इस मंदिर में अनोखा प्रसाद, चाइनीज काली मंदिर में चढ़ाया जाता है नूडल्स-मोमोस
भारत देश में मंदिरों की कोई कमी नहीं है। जहां जाएंगे आपको किसी न किसी देवी-देवता का मंदिर मिल जाएगा। ऐसे में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां मां काली की पूजा होती है और यहां पर प्रसाद के तौर पर माता को नूडल्स और मोमोज़ चढ़ाया जाता है।
भारत देश में मंदिरों की कोई कमी नहीं है। जहां जाएंगे आपको किसी न किसी देवी-देवता का मंदिर मिल जाएगा। ऐसे में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां मां काली की पूजा होती है और यहां पर प्रसाद के तौर पर माता को नूडल्स और मोमोज़ चढ़ाया जाता है। जी हां, आपने सही सुना। यह काली मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता के तांगरा में स्थित है। जिसे चाइनीज काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में मां काली की पूजा होती है। मंदिर के अंदर आपको मां काली के अलावा भगवान शिव की भी मूर्तियां मिलेंगी। मंदिर में लोग हर दिन पूजा-पाठ करने के लिए आते हैं। फल-फूल जैसे सामान्य प्रसाद के अलावा यहां पर मां काली को नूडल्स, मोमोज के साथ अन्य चाइनीज फूड्स का भी भोग लगाया जाता है।
जानते हैं इस चाइनीज काली मंदिर के बारे में-
कोलकाता का यह चाइनिज काली मंदिर अपने आप में भारत-चीनी विरासत को समेटे हुए है। 1930 में चीन में हुए सिविल वॉर के दौरान कई लोग भागकर भारत के कोलकाता में शरण लेने आ गए। जहां वे तांगरा नाम के जगह पर रहने लगे। आज से 60 साल पहले वहाँ के स्थानीय लोग एक बड़े से पेड़ के पास रखे हुए दो पत्थरों की पूजा करते थे। वे उन पत्थरों पर लाल रंग का पाउडर लगाते थे और खूब पूजा-पाठ करते थे। कुछ समय बाद यहां पर कई असाधारण घटनाएं घटित हुईं। उस समय एक चीनी लड़का बहुत बीमार पड़ गया। उसके माता-पित परेशान रहने लगे। उस लड़के के इलाज में कोई दवा असर नहीं कर रही थी। ऐसे में परेशान माता-पिता ने मां काली से प्रार्थना करते हुए उन पत्थरों के सामने अपने बेटे के लिए जीवनदान मांगा। जिसके बाद उनका लड़का चमत्कारिक ढंग से बेहतर हो गया। तब इस चमत्कार का अनुभव करने के बाद लड़के के परिवार वालों ने उस जगह पर देवी काली के लिए एक मंदिर का निर्माण करवाया। जिसमें चाइनीज समुदाय के सदस्यों ने बढ़चढ़ कर आर्थिक योगदान दिया और तब से यह मंदिर चाइनीज काली मंदिर के नाम से मशहूर हो गया।
शनिवार के दिन पूजा करने का विशेष महत्व-
इस मंदिर में शनिवार के दिन पूजा करने का विशेष महत्व है। यहां मां काली के सम्मान में अक्सर बड़े-बड़े धार्मिक अनुष्ठान करवाए जाते हैं। इस दौरान कई समारोह भी आयोजित करवाए जाते हैं। मान्याताओं के अनुसार, यहां बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए भक्त विशेष धूप और कागज जलाते हैं।