क्या निजी स्कूल वालों को जेल भेजना जरूरी था!
नियमों के खिलाफ फीस बढ़ाने और पाठ्यपुस्तकों को अधिक कीमत पर बेचने के लिए जबलपुर के निजी स्कूलों के प्रिंसिपल और प्रबंधन के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वाकई स्कूल वालों को हिरासत में लेना जरूरी था।
उमेश बिशप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार से किया जवाब तलब, अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
नियमों के खिलाफ फीस बढ़ाने और पाठ्यपुस्तकों को अधिक कीमत पर बेचने के लिए जबलपुर के निजी स्कूलों के प्रिंसिपल और प्रबंधन के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वाकई स्कूल वालों को हिरासत में लेना जरूरी था। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों के लिए किसी को हिरासत में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि राज्य सरकार एक सप्ताह में न्यायालय को स्पष्ट रूप से बताएं कि क्या कोई ऐसा आपराधिक मामला बनता है जिसके लिए उन्हें हिरासत में लेना जरूरी है। मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी। इधर सुप्रीम कोर्ट ने जबलपुर के बरेला और भेड़ाघाट थाना पुलिस को आदेशित किया है कि सुनवाई की अगली तारीख तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।
चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) के बिशप सहित निजी स्कूलों के प्रिंसिपलों और अध्यक्षों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा 9 जुलाई को जमानत याचिका खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शुल्क में बढ़ोत्तरी और पाठ्यपुस्तकों की कीमत बढ़ाने को अपराध कैसे माना जा सकता है। बिशप अजय उमेश कुमार जेम्स द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि बिशप होने के नाते वे 11 स्कूलों के पदेन अध्यक्ष हैं। वो क्राइस्ट चर्च स्कूल के भी अध्यक्ष हैं और उन्होंने जुलाई 2023 में दायित्व संभाला है। जबकि कथित अपराध 2017-18 के थे। बिशप ने अपनी उम्र 58 वर्ष होने का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराधों के लिए 27 मई से हिरासत में लिया गया है। बिशप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता प्रगति नीखरा ने कहा कि यह कॉपीराइट का मामला है। इधर राज्य की ओर से पेश एएसजी केएम नटराज ने पीठ से कहा कि उन्होंने सभी याचिकाओं का अध्ययन नहीं किया इसलिए वे अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। इस पर अदालत ने उन्हें निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई की तारीख से पहले उन सभी याचिकाओं की स्टडी करें और तथ्यों को सामने रखते हुए एक व्यापक चार्ट तैयार करें।