हम किसी से नहीं कम, बॉक्सिंग रिंग में बढ़ रही लड़कियों की तादाद
no such sport left where girls are seen inferior to boys
ऐसा कोई खेल बाकी नहीं हैं जहां लड़कियां लड़कों से कम नजर आती हो, हर खेल में वह लड़को के साथ कंधे से कंधा मिला कर खेलती नजर आती है। आज हम बात कर रहे हैं बॉक्सिंग की, रिंग में उतरते ही कोमल हाथों में जब लड़कियां बॉक्सिंग ग्लब्ज पहन के उतरती हैं तो अच्छे-अच्छों को परास्त कर देती हैं
लड़कियों की संख्या बढ़ी-
जबलपुर बॉक्सिंग क्लब की कोच जुगनू उस्मानी ने बातया कि बॉक्सिंग खेल में भी लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। लड़कियां कड़ी मेहनत कर राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय प्रतियोगतिाओं में पदक जीत कर नगर का नाम रोशन कर रहीं हैं। वहीं रिंग में वह लड़कों को भी कड़ी टक्कर दे रहीं है।
करना होता है कड़ा अभ्यास -
कोच ने बताया कि किसी भी खिलाड़ी को इस खेल में परफेक्ट बनाने में उन्हें कम से कम एक साल का समय लगाता है। एक साल के कड़े अभ्यास में खिलाड़ी प्रतियोगिता में उतरने के लिए तैयार हो जाते हैं। वर्तमान में उनके पास 20 से 25 महिला खिलाड़ी हैं जो प्रतियोगिताओं के लिए कड़ा अभ्यास कर रहीं हैं।
कुछ अलग करने की चाहत-
बॉक्सिंग महिला खिलाडियों ने बताया कि खेलने को तो और भी कोई खेल सकते थे लेकिन उन्होंने बॉक्सिंग खेल को ही चुना हर खिलाड़ी के अंदर मैरिकॉम की तरह एक सफल बॉक्सर बनने का चाहत नजर आ रही है।