Pitra Amavasya 2024 Date: कब है? पितृ मोक्ष अमावस्या, जानिए सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

आइये जानते हैं साल 2024 में सर्वपितृ पितृ अमावस्या है? (Pitru Amavasya 2024) इसके साथ ही सर्वपितृ अमावस्या का हिन्दू धर्म में महत्व के बारें में 

Sep 24, 2024 - 10:58
Sep 24, 2024 - 13:10
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Pitra Amavasya 2024 Date: कब है? पितृ मोक्ष अमावस्या, जानिए सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
Pitra Amavasya 2024 Date: कब है? पितृ मोक्ष अमावस्या, जानिए सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Pitra Amavasya 2024 Date:15 दिनों तक अपनी सेवा कराने के पश्चात पितृ मोक्ष अमावस्या पर पितृ वापस अपने धाम लौटते हैं। अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृपक्ष के प्रारंभ दिवस पर लोग पितरों का आवाहन कर धरती पर बुलाते हैंऔर श्रद्धा पूर्वक उनका स्मरण कर पिंडदान करते हैं और सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिन पूर्वजो का श्राद्ध किसी कारणवश से छूट जाता है तो उनका श्राद्ध इस दिन करके आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। 

ऐसी मान्यता है कि विधि विधान से पितरों का श्राद्ध कर्म करने से परिवार को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है आइये जानते हैं कि साल 2024 में पितृ मोक्ष अमावस्या (Pitru Amavasya 2024) कब है इसके साथ ही सर्व पितृ अमावस्या का हिंदू धर्म के महत्व के बारे में......

पितृ अमावस्या (Pitra Amavasya) कब है?

सर्वपितृ अमावस्‍या पर पीपल के वृक्ष का पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। क्योंकि इस वृक्ष में पितरों का वास माना गया है। इस साल पितृ अमावस्या 02 अक्टूबर को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार अश्विन अमावस्या 1 अक्टूबर 2024 को रात 09.39 पर शुरू होगी और अगले दिन 3 अक्टूबर 2024 को प्रात: 12.18 पर समाप्त होगी।श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त अच्छे माने जाते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

सर्वपितृ अमावस्या के दिन आखिरी श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सभी पितरों के नाम से श्राद्ध कर्म के कार्य किए जा सकते हैं।सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध,पिंडदान और तर्पण आदि के कार्य करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ज्ञात अज्ञात पितरों का श्राद्ध

जिन पूर्वजों के बारे में हमें पता है हम उनका श्राद्ध तो कर देते हैं लेकिन जो भी अज्ञात पितर हैं, जिनके बारे में आपको पता नहीं है, वे पितर भी पितृ पक्ष में पृथ्वी लोक पर आप से तृप्त होने की आशा रखते हैं।इनकी तृप्ति करना बेहद जरुरी है नहीं तो वे निराश होकर चले जाते है. वंशज को श्राप लगता है, पितृ दोष लगता है।

परिवार में बीमारी, अशांति, उन्नति का रुक जाना जैसी कई प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगती हैं।इस वजह से सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर देना चाहिए।इसलिए इस दिन पितरों के नाम से पिंड दान और तर्पण किया जाता है। जिससे वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करें।इसके बाद पितृ पुनः पितृ लोक को जाते हैं।

डिस्क्लेमर : यह जानकारी केवल हिन्दू मान्यता पर आधारित है। द त्रिकाल न्यूज़ ऐसी किसी भी मान्यता पर विश्वास नहीं करता है, जानकारी को अमल में लेने से पहले सम्बंधित विशेज्ञों से सलाह अवश्य लेवें।