जम्मू कश्मीर में नई सरकार की मुश्किलें, पूर्ण राज्य का फैसला केंद्र के हाथ में
आने वाले दिनों में जम्मू कश्मीर में जब विधानसभा का गठन होगा और मंत्रीपरिषद जब शपथ लेगी उसके बाद केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार की खींचतान कई मुद्दों पर देखने को मिल सकती है। क्योकि राज्य को अभी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है।
अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसके बाद अब विधानसभा का गठन होगा और मंत्रिपरिषद शपथ लेगी.| हालांकि, राज्य को अभी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है। अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था,लेकिन केंद्र सरकार ने उस समय राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था |अब यह निर्णय केंद्र सरकार पर निर्भर है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं; इस पर राज्य की विधानसभा कोई फैसला नहीं ले सकती। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग इसलिए की जा रही है क्योंकि इससे प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे, जो राज्य के विकास और स्वायत्तता के लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं
लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पीडीटी आचारी कहते हैं कि जम्मू कश्मीर को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है और इसीलिए वहां गर्वनर नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश है और इस तरह वहां लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) काम करते रहेंगे और विधानसभा अगर कोई बिल पास करती है तो फिर उसे एलजी की सहमति लेनी होगी। इस तरह एलजी चाहें तो बिल को राष्ट्रपति (President) को भी रेफर कर सकते हैं।
पूर्ण राज्य का दर्जा केंद्र के हाथ में
संविधान विशेषज्ञ आचारी बताते हैं कि अब जम्मू कश्मीर में चुनाव हो चुका है और विधानसभा गठन होने जा रहा है ऐसे में यह भी लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि शायद राज्य का दर्जा अब मिल जाए और इसके लिए क्या राज्य विधानसभा से बिल पास हो सकता है? लेकिन जो संवैधानिक प्रावधान है उसके तहत राज्य विधानसभा से पूर्ण राज्य का दर्जा देने का बिल पास होने भर से राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार को संसद में बिल लाना होगा। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के राज्य पुनर्गठन बिल पेश कर उसे पास कराया था और केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया था इसी तरह केंद्र सरकार को संसद में बिल पेश करके जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दे सकती है,लेकिन इसके लिए पहल केंद्र सरकार करना होगी,यानी केंद्र सरकार के हाथ में यह फैसला है।
दिल्ली जैसी मचेगी खींचतान?
पीडीटी आचारी का कहना है कि देखा जाए तो आने वाले दिनों में जम्मू कश्मीर में जब विधानसभा का गठन होगा और मंत्रीपरिषद जब शपथ लेगी उसके बाद केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार की खींचतान कई मुद्दों पर देखने को मिल सकती है। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल जब पेश किया था तभी कहा था कि उचित समय आने पर JK को राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा और राज्य के तौर पर वह बहाल हो जाएगा। और बाद में कहा था कि राज्य में जल्दी ही चुनाव कराए जाएंगे और फिर चुनाव कराया गया।