अभिभावकों की जागरूकता से, बच्चों का हो रहा संपूर्ण विकास

पैरेंट्स अपने बच्चों की एक्टिविटी को लेकर इतना ज्यादा जागरुक हो चुके हैं, कि वे अब गर्मियों की छुट्टियों में भी बच्चों को विभिन्न गतिविधियों में एक्टिव रख रहे हैं। जी हां इन दिनों बच्चों की मोबाइल से दूरी बनी रहे।

Jun 8, 2024 - 16:31
Jun 8, 2024 - 16:38
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अभिभावकों की जागरूकता से, बच्चों का हो रहा संपूर्ण विकास
With the awareness of parents, children are getting complete development

पैरेंट्स अपने बच्चों की एक्टिविटी को लेकर इतना ज्यादा जागरुक हो चुके हैं, कि वे अब गर्मियों की छुट्टियों में भी बच्चों को विभिन्न गतिविधियों में एक्टिव रख रहे हैं। जी हां इन दिनों बच्चों की मोबाइल से दूरी बनी रहे। इसके लिए अभिभावक बच्चों को पेंटिंग, डांसिंग, कैलीग्राफी, सैंड आर्ट, स्केचिंग जैसी तमाम गतिविधियों को सीखाने के लिए भेज रहे हैं। इसके पीछे उनका एक ही मकसद है कि बच्चे घर में रहते हुए मोबाइल या टीवी न देखें, बल्कि अपने आप को विभिन्न कलाओं में निपुण बनाए। जिस तरह से अभिभावकों ने अपने बचपन में विभिन्न कलाओं को सीखा है। वही ट्रेंड उन्हें एक बार फिर देखने को मिल रहा है। जहां पर बच्चे रेत के बीच खेलकर विभिन्न कलाकृतियां बना रहे हैं। छोटी उम्र में ही बच्चे अपने आप को मल्टी टास्किंग बना रहे हैं। 

रूबिक क्यूब को सॉल्व करने का ले रहे प्रशिक्षण 

कहते है कि एक बेहतर पर्सलानिटी के पीछे एक स्वस्थ मस्तिष्क काम करता है। इसी बात को चरितार्थ करते हुए अभिभावक अपने बच्चों की एक्टिविटी को बढ़ाना चाहते हैं ताकि छोटी उम्र से ही उनका बेहतर मानसिक विकास हो सके। इसके लिए महिलाएं स्वयं अपने बच्चों को विभिन्न क्लासेस लेकर जाती हैं। महज तीन साल की ही उम्र से बच्चे रूबिक क्यूब को सॉल्व करना सीख रहे हैं। इतना ही नहीं मंडला आर्ट, सैंड आर्ट, फायर लैस कुकिंग आदि में रुझान दिखा रहे हैं। अभिभावक नेहा नानवानी ने बताया की आज के समय की डिमांड है बच्चों को मल्टीटास्किंग बनाना और यह बच्चे के संपूर्ण रूप से विकास के लिए जरूरी भी है। बच्चे मोबाइल और टीवी से दूर रहे। इसके लिए मैंने ही अपनी दिनचर्या को बदल लिया है। शाम 4 बजे से 7 बजे तक बच्चे को क्लास लेकर जाती हूं। जहां पर वो हर रोज कुछ नया सीखता है। बाकी का दिन वो खुद से प्रैक्टिस करने में गुजार देता है। इससे वो अपने टाइम को यूटिलाइज कर पाता है और यही सब उसे स्कूल के प्रोजेक्ट वर्क को पूरा करने में मददगार साबित होता है। 

बीच की फीलिंग भी मिलती है क्लास में 

आम तौर पर हम देखते हैं कि समुद्र के किनारे बच्चे रेत से खेलते हैं और रेत से ही घर बनाते हैं, पिरामिड बनाते हैं। ठीक इसी प्रकार से बच्चों को इन दिनों समर कैंप में सैंड आर्ट सिखाया जा रहा है। जहां पर बच्चे घंटों रेत के बीच बैठकर रेत से बहुत कुछ बनाना सीख रहे हैं। बच्चों को यहां पर बीच की फीलिंग आ रही है। वे इससे काफी खुश हो रहे हैं। इसके साथ ही छोटे-छोटे बच्चे स्केचिंग भी सीखने में रुचि ले रहे हैं। ये सब अभिभावकों के जागरुक होने से ही संभव हो पाया है कि वे अपने बच्चों के टैलेंट को छोटी उम्र से ही परख रहे हैं और उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं।