‘हिंदुत्व के मूल में ही है विश्व कल्याण :RSS प्रमुख मोहन भागवत
जबलपुर प्रवास पर आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि सनातन ने दुनिया को शास्त्र, वेद, गणित दिया, कुछ मिटाया नहीं। क्योंकि सनातन संस्कृति में अतिवादिता नहीं है। परम लक्ष्य मोक्ष है, अनुशासन ही धर्म है।
योगमणि ट्रस्ट जबलपुर के तत्वावधान में योगमणि वंदनीया स्वर्गीय डॉक्टर उर्मिला ताई जामदार स्मृति प्रसंग के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक (RSS) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने वर्तमान में विश्व कल्याण हेतु हिंदुत्व की प्रासंगिकता के विषय को प्रवर्तित करते हुए अपने विचार रखे।इस अवसर पर मंच पर प्रान्त संघचालक डॉ प्रदीप दुबे, योगमणि ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ जितेन्द्र जामदार, अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दीपक विसपुते, क्षेत्र प्रचारक, स्वप्निल कुलकर्णी, सह क्षेत्र प्रचारक प्रेमशंकर सिदार, प्रान्त प्रचारक ब्रजकांत, मध्यप्रदेश शासन के मंत्री प्रह्लाद पटेल, राकेश सिंह सहित नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत (Mohan bhagwat)ने कहा कि सनातन ने दुनिया को शास्त्र, वेद, गणित दिया, कुछ मिटाया नहीं। क्योंकि सनातन संस्कृति में अतिवादिता नहीं है। परम लक्ष्य मोक्ष है, अनुशासन ही धर्म है। उन्होने कहा कि भारत में ईश्वर को मानने वाले और न मानने वाले दोनों मत हैं। पर मूल मान्यता एक ही है कि सृष्टि के पीछे सब एक हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस कन्वेंशन सेंटर में वर्तमान में विश्व कल्याण हेतु हिंदुत्व की आवश्यकता विषय पर आयोजित व्याख्यान में संघ प्रमुख ने सनातन और हिंदू की व्याख्या की।
उन्होंने कहा कि मानव धर्म ही सनातन धर्म है और सनातन धर्म ही हिन्दू धर्म है। जीवन कैसा जीना चाहिए इस पर सब एक मत हैं। सनातन मूल है, शास्त्रों में हिन्दू शब्द नहीं है। रामायण, वेदों में हिन्दू नहीं है, हमारे यहां तो सनातन ही कहते थे। हिन्दू शब्द विदेश से प्रचलन में आया। ग्रंथों में ये हिंदू शब्द बहुत बाद में आया। गुरुनानक देव (Guru Nanak Dev) ने संत भाषा में पहली बार हिंदू शब्द का उपयोग किया।डॉ भागवत ने कहा कि वर्तमान में विश्व कल्याण के लिए हिन्दुत्व की आवश्यकता है।