जबलपुर स्कूल जांच पड़ताल में सालाना ऑडिट पर फोकस

स्कूलों के खिलाफ जिला प्रशासन की जांच अब आगे बढ़ रही है। सबसे पहले स्कूलों के सालाना ऑडिट पर फोकस किया गया है। अधिकारियों को ये जानकार हैरानी हो रही है कि कई स्कूलों को पता ही नहीं था कि उन्हें सालाना ऑडिट कराना जरूरी है।

May 29, 2024 - 15:27
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जबलपुर स्कूल जांच पड़ताल में सालाना ऑडिट पर फोकस
focus on annual audit in jabalpur school investigation

कार्यवाही के अगले चरण में आरटीई के तहत भी शिकंजा कसने की तैयारी

स्कूलों के खिलाफ जिला प्रशासन की जांच अब आगे बढ़ रही है। सबसे पहले स्कूलों के सालाना ऑडिट पर फोकस किया गया है। अधिकारियों को ये जानकार हैरानी हो रही है कि कई स्कूलों को पता ही नहीं था कि उन्हें सालाना ऑडिट कराना जरूरी है। असल में, स्कूल संचालकों ने खुद को स्पेशल ट्रीटमेंट देते हुये नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा रखी थीं। हालाकि, इस कार्रवाई के बाद तोते उड़े हुये हैं और अफरातफरी जैसा माहौल है। अगले चरण की कार्रवाई में लगभग 50 से ज्यादा निजी स्कूलों को लिया है। सूत्रों का दावा है कि कई स्कूल ऐसे भी हैं,जिनके पास सारा हिसाब कच्चे में ही चल रहा था।

अब ये है टारगेट में-

जांच टीम ने अब दूसरे चरण में उन स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी की है,जहां पांच सौ बच्चों से अधिक छात्र संख्या है। इन स्कूलों की लिस्ट तैयार कर ली गई है। इन स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट की जांच की जानी है। अभीस्कूलों को खुद ही आडिट करने कहा गया है और इसके लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया है, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर स्कूलों की आय-व्यय से लेकर पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक के साथ सांठगांठ करने वाले स्कूल के संचालक और प्राचार्य की पूरी जानकारी एकत्रित की जानी है।

शिक्षा विभाग के अफसर भी फंसे-

जैसे-जैसे कार्रवाई तेज हो रही है, नए-नए चेहरे सामने आ रहे हैं। अब पता चला है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कई अधिकारी भी इस मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, एक स्कूल की जांच डीईओ ऑफिस को सौंपी गयी थी। ये जांच बाद में एक प्राचार्य को दी गयी और प्राचार्य ने स्कूल को ओके रिपोर्ट जारी कर दी। बाद में इस स्कूल के बारे में गोलमाल के सबूत मिले। इस मामले में तगड़ी फटकार के बाद अब दोबारा जांच के निर्देश जारी किए गये हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की परेशानी उस वक्त और बढ़ गयी,जब पता चला कि अब राइट-टू-एजूकेशन(आरटीई)के तहत स्कूलों की जांच होगी। इस मामले में गरीबों की सीटें बेंचने का स्कैंडल सामने आने वाला है।

अब तक क्या हुआ-

इस मामले पर 11 स्कूलों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराए, इसमें 80 आरोपियों में से 20 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभिभावकों की शिकायतों पर तेजी से कार्रवाई की गयी। अनावश्यक पुस्तकों के अतिरिक्त भार, फर्जी व डुप्लीकेट पुस्तकें आदि से सात लाख विद्यार्थियों से 240 करोड़ रूपए की अवैधानिक फीस वसूली की गई। इस मामले में 21 गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं और पुलिस अन्य आरोपियों को दबोचने के लिए दबिश दे रही है। नियमानुसार, 10 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर आपराधिक प्रकरण कायम किया जाएगा।

दायर होंगी अग्रिम जमानत याचिकाएं-

सूत्रों के अनुसार, बुधवार को हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिकाएं दायर की जाएंगी,क्योंकि पुलिस लगातार दबिश देकर गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। अधिवक्ताओं से संपर्क किया जा रहा है और बेल की संभावनओं पर विचार किया जा रहा है। हालाकि, कानूनी जानकारों का दावा है कि एंटीसिपेट्री बेल मिलना इतना आसान नहीं होगा। इधर,मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आलोक प्रताप सिंह की अदालत ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि अवैध फीस वसूली व मनमाने दामों में पाठ्य पुस्तक विक्रय गंभीर अपराध है। लिहाजा, इस मामले के पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश किए गए आरोपितों क्राइस्ट चर्च स्कूल, जबलपुर के अजय उमेश जेम्स, शाजी थामस, यूवी मैरी, अतुल अनुपम व एकता पीटर्स सहित अन्य को 31 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया। सीजेएम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि आरोपितों ने एकराय होकर बिना वैध अनुमति के छात्रों पर नियम से अधिक फीस वृद्धि की गाज गिराकर करोड़ों रुपये अवैध रूप से अर्जित किए गए। यही नहीं बिना आइबीएसएन की नकली पुस्तकें प्रकाशकों से सैटिंग करके छात्रों को अपेक्षाकृत अधिक कीमत में विक्रय कर अवैध लाभ अर्जित किया गया। इस तरह आरोपितों ने अवैध कमाई के लिए कानून का अपालन कर अपराध किया है।